"महा श्रृंगार छंद"
---------------------------------------------------------
जहाँ की डाल-डाल पर फूल, जहाँ के हर मानस में प्रेम
जहाँ की मस्ती है अनमोल, जहाँ पलता हो योग-क्षेम
जहाँ की पावन माटी रोज, उगाती अन्नधान भरपूर
जहाँ के... more"महा श्रृंगार छंद"
---------------------------------------------------------
जहाँ की डाल-डाल पर फूल, जहाँ के हर मानस में प्रेम
जहाँ की मस्ती है अनमोल, जहाँ पलता हो योग-क्षेम
जहाँ की पावन माटी रोज, उगाती अन्नधान भरपूर
जहाँ के वीरों को अरि देख, भागते दिख जाएंगे दूर
जहाँ का धर्म सिखाता रोज, पूजना मिट्टी पानी पेड़
उसी भारत में है अफ़सोस, प्रकृति को रहे लोग नित छेड़
जहाँ का खान पान हो शुद्ध, जहाँ का सुन्दर सा हो वेश
जहाँ हो ऋषि-मुनियों का वास,उसे कहते हैं भारत देश।