आज का सृजित रोला छंद:
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सुबह-सुबह नित नाम, राम का लेते रहना
भव सागर से नाव, निजी यूं खेते रहना
खुश रह कर ही आप, ठाँव जग में पाओगे
बने जो आंसू आँख, निजी से बह जाओगे
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जान... moreआज का सृजित रोला छंद:
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सुबह-सुबह नित नाम, राम का लेते रहना
भव सागर से नाव, निजी यूं खेते रहना
खुश रह कर ही आप, ठाँव जग में पाओगे
बने जो आंसू आँख, निजी से बह जाओगे
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जान सका है कौन, सत्य की उत्तमता को
माँ की ममता और, पिता जी की क्षमता को
मात पिता ही ईश, तिहारे वही सहारा
जीवन का आधार, वही हैं वेद उचारा
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घर में आटा दाल, कि जैसे राशन लाते
उसी तरह से कांश, किताबें भी ले आते
भरता राशन पेट, किताबें ज्ञान भरेंगी
घोर निराशा पाट, सभी में मान भरेंगी